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जातीय जनगणना दलित आदिवासी पिछड़ा समाज उनके इस फ़ैसले का तहेदिल से स्वागत करता है, रवि शंकर हवेलकर


उत्तरप्रदेश, कानपुर नगर 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जातीय जनगणना का निर्णय एक ऐतिहासिक कदम है जो देश में समता, समानता, बंधुत्व, समरसता और न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस निर्णय का स्वागत करते हुए, रवि शंकर हवेलकर ने कहा कि यह निर्णय दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के लिए एक बड़ा कदम है। समूचा दलित आदिवासी पिछड़ा समाज उनके इस फ़ैसले का तहेदिल से स्वागत करता है। दशकों से इसका इंतज़ार था। यह उन नेताओं के लिए भी एक सबक है जो जातीय जनगणना का राग तो बहुत अलापते थे, लेकिन दशकों तक सत्ता में रहने पर उनके दल इस मुद्दे पर कंबल ओढ़कर सो जाते थे। रवि शंकर हवेलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष वंचित समाज लोक कल्याण महा समिति, पूर्व सदस्य प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना राज्य सलाहकार समिति उत्तर प्रदेश शासन में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय राजनीति की सच्चाई है जाति और जातीय जनगणना इसकी धुरी पर आधारित रही है। भारत का लोकतंत्र इससे मज़बूत होगा।

जातीय जनगणना के लाभ

सामाजिक न्याय जातीय जनगणना से दलित, वंचित और हाशिए के वर्गों की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षणिक स्थिति का आकलन किया जा सकेगा।

बराबरी का अधिकार

 इससे इन वर्गों को सम्मानजनक भागीदारी और बराबरी का अधिकार प्राप्त होगा।

लोकतंत्र को मजबूती

 जातीय जनगणना से भारत का लोकतंत्र मजबूत होगा और देश में समता, समानता और बंधुत्व की भावना बढ़ेगी।

 राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

राजनीतिक दलों की भूमिका: रवि शंकर हवेलकर ने कहा कि जो नेता जातीय जनगणना की बात करते थे, लेकिन सत्ता में आने पर इस मुद्दे पर ध्यान नहीं देते थे, उनके लिए यह निर्णय एक सबक है।

भाजपा सरकार की पहल 
भाजपा सरकार का यह निर्णय वंचित वर्गों को बराबरी का हक देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

सामाजिक प्रभाव
वंचित वर्गों में खुशी- देश के वंचित वर्गों में इस निर्णय से अपार हर्ष और खुशी की लहर है।

सामाजिक समरसता 
जातीय जनगणना से देश में सामाजिक समरसता बढ़ेगी और सभी वर्गों के बीच समानता की भावना पैदा होगी।

सुरेश राठौर 


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