लिखा अन्याय हो जिस पर पृष्ठ वो फाड़ देती हूं, शत्रु का चीरकर सीना तिरंगा गाड़ देती हूं-
डॉ. गीता पाण्डेय अपराजिता -
जननी और जन्मभूमि स्वर्ग भूमि से भी बढ़कर है, इसके लिए बलिदान होना चाहिए -
BBC CRIME TVउत्तरप्रदेश, गाजीपुर
वाराणसी महानगर के लंका होटल किंग्स बनारस में अखिल भारतीय लेखक कवि कलाकार परिषद् के संस्थापक कवि इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक एवं अस्मिता नाट्य संस्थान के संस्थापक/महासचिव कवि इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक के प्रमुख संयोजन में काशी के प्रख्यात कवि एवं गीतकार डॉ. महेन्द्र तिवारी अलंकार के अध्यक्षता में भारत विकास परिषद वरुणा के अध्यक्ष प्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश एवं मुम्बई फिल्म जगत के गीतकार और कवि राजकुमार आशिर्वाद - राजाबाबू प्रमुख अतिथि द्वय के के गरिमामयी उपस्थिति में अखिल भारतीय लेखक कवि कलाकार परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. प्रमोद वाचस्पति सलिल जौनपुरी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. संजय पाण्डेय सरस, राष्ट्रीय महासचिव कवि सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध, परिषद् के महिला शाखा की राष्ट्रीय संयोजिका एवं कवयित्री डॉ. पूनम श्रीवास्तव के स्वागत संरक्षण में परिषद् की महिला शाखा की प्रदेश अध्यक्ष लोकगायिका अनीता मिश्रा, प्रदेश उपाध्यक्ष रीतू दीक्षित एवं सुनीता जौहरी और प्रदेश महामंत्री सुमति श्रीवास्तव के स्वागत संयोजन में पितृपक्ष और वन्दे मातरम् गीत दिवस के अवसर पर संपूर्ण भारत वर्ष के विभिन्न प्रदेशों से पधारे लगभग अर्ध शतक रचनाकारों ने काव्य, गीत, ग़ज़ल आदि अमर शहीदों के स्मृति में अर्पित किया। स्मृति सम्मान भी आयोजन समिति द्वारा भेंट किया गया।
काशी हिन्दी विद्यापीठ के उप कुलपति डॉ. महेन्द्र तिवारी अलंकार ने कवि वीरेन्द्र सिंह कुसुमाकर, डॉ. गीता पाण्डेय अपराजिता और अमित शर्मा को विद्या -सागर विशेष मानद सम्मान और कवि ओमप्रकाश श्रीवास्तव - प्रकाश मीरजापुरी, राजकुमार आशिर्वाद, अवधेश कुमार सिंह, सर्वेश अग्रहरि को विद्या - वाचस्पति विशेष मानद मानद सम्मान भेंट किया।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में मुख्य रूप से कवि वीरेन्द्र सिंह कुसुमाकर की रचना- जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है, इसके लिए बलिदान होना चाहिए, डॉ. गीता पाण्डेय अपराजिता की रचना -अन्याय हो जिस पर पृष्ठ वो फाड़ देती हूं, शत्रु का चीरकर सीना तिरंगा गाड़ देती हूं, डा. प्रमोद वाचस्पति ने - वन्दे मातरम् - वन्दे मातरम् से हम सबकी हम सब की प्रीत है,जो हम सबसे टकराने की जुर्रत करता है,उसका मानसिक स्थिति नहीं ठीक है,डॉ.संजय देव पाण्डेय सरस ने - आज उन शहीदों को हमको याद करना है, जिसने दी है कुर्बानी,उनको याद करना है, डॉ. सुबाष चन्द्र ने -गम ना कर तूं ए जिन्दगी,चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है, हर्ष अग्रवाल ने - रण में शूरवीर लड़े ,खेत जोतता किसान,जय जवान,जय किसान, विदुषी साहाना ने - जीवन के इस रंग बिरंगे पतझड़ को जो जान गया,समझो वो ही पार लगा जो भव सागर के पार गया, चेतना तिवारी ने -जो सलामत हमीं को रखता है,उनको मेरा सलाम कहती हूं,है वो सरहद ,अवध धाम मेरा, मैं शहीदों को राम कहती हूं, डा. सुशील पाण्डेय ने - इकरोज ज़िन्दगी मुझे ये भी बता गई, मुझसे बड़ा न कोई भी उस्ताद यहां है, संजय शर्मा ने - अपने वतन के लिए जां को लुटाने निकल पड़े, राजकुमार आशिर्वाद राजा देंगे,आयोजन के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र तिवारी अलंकार ने समस्त राष्ट्र प्रेमी, काव्य प्रेमी, रचनाकारों के शब्द श्रृजन की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि -तेरी कोख से जनम लिया मां,तुझी पे ये जां रहा हूं सुनाकर राष्ट्रभक्तिमय शब्दों की झंकार से झंकृत किया।
मुख्य अतिथि द्वय प्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश एवं राजकुमार आशिर्वाद ने वन्दे मातरम् गीत दिवस और पितृपक्ष के अवसर पर उपस्थित भारत वर्ष के विभिन्न हिस्सों से आए रचनाकारों को साधुवाद देते हुए अपने पितरों के साथ -साथ ज्ञात - अज्ञात अमर शहीदों को भी मोक्ष देने की कामना किया।
प्रमुख संयोजक कवि इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक ने कहा कि पितृपक्ष में हम सबको शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में क्रमबद्ध तरीके से अपने अमर शहीदों के भी स्मृतियों को तरोताजा रखने की जरूरत है। जिससे आने वाली बाल एवं युवा पीढ़ी में भी राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत रहे।
संचालन कवि इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक एवं अखिल भारतीय लेखक कवि कलाकार परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. प्रमोद वाचस्पति ने संयुक्त रूप से किया।सह संयोजन युवा कवि अमित शर्मा, धन्यवाद आभार राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. संजय देव पाण्डेय सरस एवं राष्ट्रीय महासचिव कवि सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध ने संयुक्त रूप से किया।
गाजीपुर उत्तर प्रदेश से जिला संवाददाता राम प्रवेश राय की रिपोर्ट
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