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कानपुर: 'जीरो टॉलरेंस' की खुली पोल, अपनी ही सरकार में न्याय के लिए भटक रहा भाजपा नेता

शादी समारोह में अपहरण और जानलेवा हमले का मामला, सीसीटीवी फुटेज और वायरल वीडियो के बाद भी पुलिस के हाथ खाली

BBC CRIME TV

उत्तरप्रदेश,​कानपुर नगर 

प्रदेश सरकार जहाँ एक ओर अपराधियों के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' और बुलडोजर मॉडल की नज़ीर पेश कर रही है, वहीं कानपुर कमिश्नरेट पुलिस की कार्यशैली सरकार के दावों की हवा निकाल रही है। हालात यह हैं कि सत्ताधारी दल (भाजपा) के पदाधिकारी ही सुरक्षित नहीं हैं और न्याय पाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।​ताजा मामला कानपुर ग्रामीण का है, जहाँ भाजपा युवा मोर्चा के जिला मंत्री हर्षित तिवारी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रेस वार्ता की। उन्होंने बताया कि अपहरण और जानलेवा हमले के पुख्ता सबूत होने के बावजूद पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने से कतरा रही है।

'आईरा प्रेस क्लब' में प्रेस वार्ता कर पीड़ित हर्षित तिवारी ने बताया कि घटना 30 नवंबर की है। वह थाना किदवई नगर क्षेत्र स्थित 'विश्वास गार्डन' में एक मित्र के वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। वहां फोटो खिंचवाने को लेकर पहले से मौजूद प्रतीक यादव और उसके साथियों से कहासुनी हो गई। आरोप है कि इसके बाद प्रतीक यादव, ऋषभ सागर उर्फ रिशु, सौरभ उत्तम उर्फ सेंटी ने अपने साथियों के साथ मिलकर हर्षित को गेस्ट हाउस से बाहर खींचा और जबरन गाड़ी में डालकर पीटना शुरू कर दिया।घटना की सूचना मिलते ही हर्षित के बड़े भाई अनुराग तिवारी उन्हें बचाने के लिए शांति मिशन हॉस्पिटल के पास पहुंचे। वहां पहले से घात लगाए बैठे नकुल गुप्ता, प्रत्यूष दीक्षित, आर्यन गुप्ता व अन्य ने अनुराग को भी घेर लिया और गाड़ी में घसीटकर जान से मारने की नीयत से ले जाने लगे। इसी बीच सामने से पुलिस की गाड़ी आती देख आरोपी अनुराग को सड़क पर फेंककर मौके से फरार हो गए।

पीड़ित पक्ष का कहना है कि पूरी घटना पास लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद है और सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हैं। नामजद एफआईआर और सबूत होने के बावजूद पुलिस ने अब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की है। हर्षित तिवारी ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, "जब सत्ताधारी पार्टी के पदाधिकारी की ही सुनवाई नहीं हो रही, तो आम जनता की सुरक्षा का क्या होगा?"

प्रेस वार्ता के दौरान हर्षित तिवारी ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि कानपुर पुलिस ने जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया, तो वह अपने संगठन के पदाधिकारियों के साथ लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष अपनी पीड़ा रखेंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे।


सुरेश राठौर 

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