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414 करोड़ के सीवर प्रोजेक्ट में मनमानी पर भड़कीं महापौर, अफसरों को दो टूक- 'बिना अनुमति सड़क खोदी तो खैर नहीं

सीवर लाइन के लिए तोड़ दीं नई सड़कें, पार्षदों और जलकल जीएम ने उठाया 200 एमएम पाइपलाइन पर सवाल


BBC CRIME TV 

​उत्तरप्रदेश,कानपुर नगर 

दक्षिण कानपुर (साउथ सिटी) में 414 करोड़ रुपये की लागत से चल रहा सीवर लाइन प्रोजेक्ट जनता की सुविधा के बजाय मुसीबत का सबब बन गया है। बिना समन्वय के खोदी जा रही सड़कों और तकनीकी खामियों को लेकर मंगलवार को महापौर प्रमिला पांडेय का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। नगर निगम मुख्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक में महापौर ने जल निगम और कार्यदायी संस्था (एलसी इन्फ्रा) के पेच कसते हुए साफ अल्टीमेटम दिया कि "बिना अनुमति और पार्षदों को विश्वास में लिए अगर एक भी सड़क खोदी गई, तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"


बैठक के दौरान जोन-3 और जोन-5 के पार्षदों ने अफसरों को घेरते हुए कहा कि ठेकेदार मनमानी पर उतारू हैं। संकरी गलियों में मजदूरों से काम कराने की जगह जेसीबी मशीनें उतार दी गई हैं। इसका नतीजा यह है कि जमीन के नीचे पड़ी पानी, सीवर और गैस की लाइनें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। हद तो तब हो गई जब ठेकेदारों ने एक सप्ताह पहले बनी नई-नवेली सड़कों को भी खोद डाला, जिससे नगर निगम के पुराने ठेकेदारों का भुगतान फंस गया है और जनता का गुस्सा पार्षदों को झेलना पड़ रहा है।बैठक में सीवर पाइप की मोटाई (डाया) को लेकर बड़ा तकनीकी विवाद खड़ा हो गया।

​पार्षदों  ने कहा कि गलियों में 200 एमएम की पतली लाइन डाली जा रही है, जबकि आबादी का घनत्व कई गुना बढ़ चुका है। केडीए ने बरसों पहले 250 एमएम की लाइन डाली थी, तो अब उससे पतली लाइन डालने का क्या औचित्य है?

​जलकल जीएम की आपत्ति: जलकल महाप्रबंधक आनंद कुमार त्रिपाठी ने भी डीपीआर (DPR) को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि रतनलाल नगर जैसे इलाकों में अब मल्टीस्टोरी इमारतें बन रही हैं। वहां 30 साल के भविष्य को देखते हुए 200 एमएम की लाइन नाकाफी साबित होगी और सिस्टम फेल हो जाएगा।

महापौर ने जल निगम और ठेकेदार फर्म के जीएम को निर्देशित किया कि वे किस वार्ड में कब काम करेंगे, इसका पूरा नक्शा और शेड्यूल पार्षदों को उपलब्ध कराएं। उन्होंने मुख्य अभियंता (सिविल) सैय्यद फरीद अख्तर जैदी को निर्देश दिया कि जो भी सड़क बिना अनुमति खोदी जाए, उस पर सख्त एक्शन लें। साथ ही पुरानी चालू लाइनों को छेड़छाड़ न करने की हिदायत दी गई।

जल निगम के अधीक्षण अभियंता राजेंद्र सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि प्रोजेक्ट की डीपीआर आईआईटी (IIT) से सत्यापित है। दक्षिण क्षेत्र में 440 किमी लाइन डाली जानी है। हालांकि, पाइप की साइज बढ़ाने की मांग पर उन्होंने तकनीकी सर्वे कराकर समाधान निकालने का आश्वासन दिया।

बैठक में मुख्य रूप से मुख्य अभियंता (सिविल) सैय्यद फरीद अख्तर जैदी, पार्षद डॉ. अखिलेश वाजपेयी, सुधीर यादव, सतीश यादव, संतोष साहू, योगेंद्र शर्मा, धीरेंद्र सोनकर समेत जल निगम और जलकल के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

सुरेश राठौर 


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